कैसे रखें पत्नी को खुश.जानें अपनी श्रीमती जी की रूचि !
घर में एक स्वस्थ वातावरण बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपनी पत्नी को खुश रखें। जी हां, है यह गंभीर विषय क्योंकि उनके खुश रहने से ही न केवल घर में शान्ति बनी रहती है वरन् आपका भी हर काम में मन लगता है।
केवल चन्द बातों को ध्यान में रखना है जिससे स्वत: ही वातावरण सरस बना रहेगा क्योंकि स्त्रियां संवेदनशील होती हैं। आप कठिन से कठिन समस्या को थोड़ी सूझ-बूझ व भावात्मक रूप से हल कर सकते हैं।
यह तो तय है कि कोई भी व्यक्ति हर दृष्टि से सौ प्रतिशत खरा नहीं होता। आपकी पत्नी में भी कुछ कमियां अवश्य होंगी। अगर मानसिक हैं तो आपको चाहिए कि आप उसके साथ बैठकर उसे समझाएं तथा समस्या का निदान करें और अगर शारीरिक हैं तो उसे इतना प्यार दें कि वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करे, हीन भावना से ग्रस्त न हो।
पत्नी की किसी भी कमी को किसी अन्य के आगे न कहे। इससे उसमें न केवल हीन भावना घर कर जाती है वरन् वह स्वयं को अपमानित महसूस करती है और यही आगे चल कर घर का वातावरण कड़वा बना देता है। बेहतर है कि आप उसकी कमी का अकेले में ही निवारण करें।
सभी व्यक्तियों में कुछ न कुछ अच्छाइयां या यूं कहिए कि गुण या खासियत होती हैं जिसे या तो वह दबाए रखता है या फिर उचित प्रोत्साहन न मिलने पर उसका वह गुण पूर्णत: उभर कर सामने नहीं आ पाता। बहुत कम लोग होते हैं जिनकी प्रतिभा उचित प्रोत्साहन द्वारा उभर कर सामने आती है। अगर आपको लगता है कि आपकी पत्नी में कुछ कर दिखाने की क्षमता है या कुछ ऐसे गुण हैं जिनसे उसकी प्रतिभा उभर सकती है तो उसे प्रोत्साहन दीजिए जैसे कपड़े सिलाई जानने पर उचित प्रोत्साहन द्वारा बूटीक खोल सकती है। लिखना जानती है तो आपके प्रोत्साहन द्वारा लेखिका बन सकती है।
आपकी पत्नी बच्चों को या फिर घर के नौकरों को डांट-डपट रही है तो आप भूल कर भी उसमें हस्तक्षेप न करें। इससे उसे महत्त्वहीन महसूस होगा तथा वह अपमानित महसूस करेगी। आपको इस विषय में कुछ आपत्ति है तो एकांत में उसे सुझाव दें।
प्राय: देखा जाता है कि पत्नी ही पति की सेवा करती है, घर संभालती है किन्तु कभी-कभार आप भी सेवा करें जिससे माहौल में हल्कापन बना रहे जैसे कड़कती ठंड में सुबह की चाय आप बना दें या फिर गर्मियों में कुछ ठंडा शेक आदि बनाकर दें। कभी-कभार रविवार का हल्का-फुल्का नाश्ता आप भी तैयार कर दीजिए। यकीन जानिए माहौल में सरसता आ जाएगी।
कभी आप किसी बात में गलत हैं या फिर आपसे कुछ गलती हो गयी है किन्तु श्रीमती जी ने इस विषय में कोई आक्षेप नहीं किया तो आपको चाहिए कि आप स्वयं सहर्ष अपनी गलती स्वीकार करें। इससे उसे खुशी होगी।
आपको चाहिए कि आप अपनी श्रीमती जी की रूचि जानें और जब कभी आपको लगे कि वह नाराज हैं तो उनकी रूचि के अनुसार कार्य कर डालिए। हां, एक बात और, उनकी रूचि के साथ-साथ सैर-सपाटा, सिनेमा, पिकनिक, शॉपिंग, कहीं बाहर खाना आदि भी कर लें तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जाएगी लेकिन सच पूछा जाए तो माहौल की नीरसता को दूर रखने के लिए इस प्रकार के बदलाव भी अत्यंत आवश्यक है।
आप पत्नी से दोस्ताना व्यवहार रखें। उचित समय देख कर आप अपनी कमियों के विषय में भी अवश्य पूछें जिससे आप अपनी कमियों को सुधार सकें और पत्नी को भी अच्छा-फील करने का मौका प्राप्त हो।
किसी भी बड़े कार्य की शुरूआत या अन्य विषय में आप अपनी पत्नी से एक दोस्त की भांति राय लेें। कई बार देखा जाता है कि उनकी राय भी रंग ला देती है। इससे पत्नी को भी अपनी महत्ता का आभास होगा।
पत्नी अगर घर के बजट से कुछ संचय कर लेती है तो आप इस विषय में उससे न ही पूछें तो अच्छा रहेगा। चाहे तो आप कभी कभी कुछ अतिरिक्त रूपये भी दे दिया करें ताकि वह अपनी इच्छानुसार खर्च कर सके।
किसी तीज-त्यौहार, वर्षगांठ आदि पर आभूषण, मनपसंद वस्त्र, गुलदस्ते या अन्य उपहार देने का नियम अवश्य बना लें। इससे उन्हें खुशी होगी, यह तो तय ही है। पत्नी के मैके वालों की आलोचना न करें। हो सके तो लगे हाथों तारीफों के पुल ही बांध दीजिए, तब देखिए परिवर्तन।
ऑफिस के किसी टूर पर जा रहे हों तो श्रीमती जी के लिए कुछ उपहार अवश्य ले जाइए। फिर देखिए, आपकी कितनी खातिरदारी होगी।
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